‘दिमागी गुलामी’ यह एक प्रभावशाली पुस्तक है| प्रसिद्ध भारतीय लेखक और विचारक राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखी हुई यह पुस्तक सामाजिक चेतना बढ़ाने हेतु महत्त्वपूर्ण समझी जाती है| यह पुस्तक भारत के सामाजिक और मानसिक दासता के विभिन्न पहलुओं और इसके भारतीय समाज प्रभावों का वर्णन करती है| राहुल सांकृत्यायन ने इस पुस्तक में दिमागी दासता के जटिल विषयों को सरल तरीके से प्रस्तुत किया है| इसमें लेखक की गहरी चिंतनशीलता और समाज की सच्चाई का एक प्रखर विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठकों को उस समय के भारतीय समाज की मिलती है|
राहुल सांकृत्यायन ने आत्मचिंतन और जागरूकता को मानसिक दासता से मुक्ति के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है| उन्होंने तर्क, ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी है| राहुल सांकृत्यायन की लेखन शैली प्रखर और स्पष्ट है| उनके विचार विद्वत्तापूर्ण होते हुए भी सरल में प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे पाठक आसानी से पुस्तक के मर्म को समझ सकते हैं| उन्होने अपनी लेखनी के माध्यम से यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि मानसिक गुलामी का सबसे बड़ा कारण ज्ञान और तर्क की कमी है|
‘दिमागी गुलामी’ एक प्रेरणादायक, ज्ञानवर्धक और विचारोत्तेजक है जिससे पाठकों को एक व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त होता है| यह पुस्तक पाठकों को आत्मनिरीक्षण करने और मानसिक स्वतंत्रता की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है| ‘दिमागी गुलामी’ न केवल भारतीय समाज के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रासंगिक है|
” बौद्ध दर्शन से अभिप्राय उस दर्शन से है जो भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों द्वारा विकसित किया गया और बाद में पूरे एशिया में इसका प्रसार हुआ। यह साधारणतया बौद्ध धर्म के रूप में जाना जाता है। प्राचीन भारत में उत्पन्न हुई यह एक गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपरा है। ‘दुख से मुक्ति’ बौद्ध धर्म का मुख्य ध्येय रहा है। कर्म, ध्यान एवं प्रज्ञा इसके साधन रहे हैं। तथागत बुद्ध द्वारा स्थापित किये गये विचारों की यह विश्वास प्रणाली मनुष्य के आत्मज्ञान और पीडा से मुक्ति पाने की खोज के आसपास घूमती है। इस विचारधारा के मूल में चार आर्य सत्य समाये हुए हैं, जो दुख, दुख के कारण, दुख की समाप्ति और अंत में आत्मज्ञान के मार्ग को स्वीकार करते हैं। इतना ही नहीं बुद्ध द्वारा बताया गया अष्टांगिक मार्ग मनुष्य का नैतिक जीवन और आत्म-सुधार के लिए बतौर मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
बौद्ध दर्शन करुणा, अहिंसा और सभी दुखदायक चीजों की नश्वरता का विवेचन है। दुनिया भर के लाखो लोग इस पुस्तक से प्रभावित हुए हैं। यह मनुष्य के लिए आंतरिक शांति और ज्ञानोदय की ओर एक आध्यात्मिक यात्रा की पेशकश है। प्रस्तुत पुस्तक मे बौद्ध धर्म के जानेमाने अभ्यासक महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने बौद्ध दर्शन के पाँच अध्यायों में बौद्ध दर्शन की सभी मान्यताओं पर चर्चा करके बौद्ध दर्शन को सुस्पष्ट करने का प्रयास किया हैं। बौद्ध दर्शन की जो जानकारी इसमें है वह समझने में विषय मर्मज्ञ के अलावा सामान्य पाठकों को भी कोई कठिनाई नहीं होगी।”
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